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दिलीप कुमार यादव ने गुजरे दो दशकों में हिन्दी के शीर्ष अखबारों में कृषि पत्रकारिता को ही अपनाया। उन्होंने खेती किसानी से जुड़ी खबरों को प्राथमिकता देने के लिए संपादकों तक से चिंतन किया। खेती की खबरों से कारोबारी लाभ न मिलने के कारण उन्हें प्राथमिकता न मिलने की मनोवृत्ति को बदलने में उन्हें सफलता मिली। बाद में अमर उजाला जैसे अखबारों को चौपाल शीर्षक से खेती को प्राथमिकता देनी पड़ी। राजस्थान पत्रिका से लेकर देनिक जागरण तक ने कृषि पत्रकारिता को तरजीह दी।